BA Semester-1 Hindi Kavya - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2639
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

अध्याय - 15
अमीर खुसरो
(व्याख्या भाग )

कव्वाली (घ)

( 1 )

छापा - तिलक तज दीन्ही रे, तो से नैना मिला के।
प्रेम बटी का मदवा पिलाके
मतवारी कर दीन्ही रे, मो से नैना मिला के।
'खुसरो' निज़ाम पै बलि-बलि जइए,
मोहे सुहागन कीन्ही रे, मोसे नैना मिला के।

सन्दर्भ - कव्वाली विधा की प्रस्तुत बन्दिश 'अमीर खुसरो' द्वारा रचित है, जो डॉ. परमानन्द पांचाल द्वारा सम्पादित अमीर खुसरो व्यक्तित्व एवं कृतित्व पुस्तक से अवतरित है।

प्रसंग - प्रस्तुत बन्दिश में कवि ने अपने निजाम को खुश रखने के लिए या उस पर बलिहारी होने के लिए इस कव्वाली को प्रस्तुत किया है। खुसरो की कुछ बन्दिशों को आज भी कोई नया कव्वाल या सूफी गायक जब तक नहीं गा लेता, तब तक उसे बाकामयदा कव्वाल या सूफी गायक नहीं माना जाता।

व्याख्या - कवि कहता है कि अपने पीर-ओ-मुर्शिद (गुरु) को प्रसन्न करने के लिए आज भी कव्वालियों का आयोजन होता है। आज अमीर खुसरो के कलाम अत्यन्त श्रद्धापूर्वक गाये जाते हैं। ईश्वर से नयन मिलने पर यानी प्रेम होने की दशा में मैंने अपना सब ढकोसलापन छोड़ दिया है। कवि कहता है कि मैंने आपसे (ईश्वर) नैन मिला करके छापा - तिलक को छोड़ दिया है। प्रेमरूपी जड़ी का मद पी लिया है। नयन मिलने के बाद मैं तो मतवाला हो गया हूँ। खुसरो निजाम पर बार-बार बलि हो जा रहा है। नयन मिला करके मैंने तो अपने जीवन को धन्य कर दिया है। निजाम ने तो नयन मिला करके मुझे सुहागन कर दिया है।

विशेष- (i) खुसरो की हिन्दी रचनाओं का भाषा रूप खड़ीबोली है।
(ii) कव्वाली शब्द की उत्पत्ति 'कौष' शब्द से मानी जाती है।

गीत (ङ)
( 1 )

काहे को ब्याही विदेस रे,
लखि बाबुल मोरे।
हम तो बाबुल तोरे बागों की कोयल
कुहकत घर-घर जाऊं, लखि बाबुल मोरे।
हम तो बाबुल तोरे खेतों की चिड़िया,
चुग्गा चुगत उड़ि जाऊं, लखि बाबुल मोरे।
हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ,
जो मांगे चली जाऊं, लखि बाबुल मोरे।
हम तो बाबुल तोरे खूंटे की गइया,
जित हांको हंक जाऊं, लखि बाबुल मोरे।
लाख की बाबुल गुड़िया जो छाड़ी,
छोड़ि सहेलिन का साथ, लखि बाबुल मोरे।
महल तले से डोलिया जो निकली,
भाई ने खाई पछाड़, लखि बाबुल मोरे।
आम तले से डोलिया जो निकली,
कोयल ने की है पुकार, लखि बाबुल मोरे।
तू क्यों रोवे है, हमरी कोइलिया,
हम तो चले परदेस, लखि बाबुल मोरे।
नंगे पाँव बाबुल भागत आवै,
साजन डोला लिए जाय, लखि बाबुल मोरे।

सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ अमीर खुसरो द्वारा रचित 'गीत' विधा की है। जो डॉ. परमानन्द पांचाल द्वारा सम्पादित पुस्तक 'अमीर खुसरो व्यक्तित्व एवं कृतित्व' से ली गयी हैं।

प्रसंग - प्रस्तुत गीत में कवि ने स्त्री जाति की व्यथा को प्रस्तुत किया है।

व्याख्या -  कवि कहता है कि विवाहिता पुत्री अपने पिता से कहती है, क्यों आपने मेरी शादी विदेश में कर दी। हे पिता ! आप देखिए। पिताजी मैं तो आपके बागों की कोयल हूँ कुहकते हुए घर-घर जाती हूँ, आप पिताजी देखिए मैं तो आपके खेतों की पक्षी हूँ चुगते- चुगते उड़ जाती हूँ आप पिताजी देखें। पिताजी मैं तो आपके बेल पुष्प की कली हूँ जो माँगने पर चली जाती हूँ, पिताजी, आप देखें। मैं तो आपके खूंटे की गाय हूँ जिधर हाँकते हो उधर चली जाती हूँ, हे पिताजी आपने लाख टके की गुड़िया यानी बेटी को छोड़ दिया है जिसने अपनी सहेलियों का साथ छोड़ दिया है। महल के नीचे से जो डोली निकली है, उसको देखकर भाई रो करके गिर पड़ा। जब आम के नीचे से डोली निकली है तो कोयल ने पुकार की है। पिताजी देखें। हे मेरी कोयल! तू क्यों रो रही है, मैं तो परदेश जा रही हूँ, मेरे पिता तो नंगे पाँव भागते चले आ रहे हैं और साजन डोला लेकर जा रहे हैं। हे पिता ! आप देखिए।

विशेष - यह गीत विविध रंगी है जिसमें संयोग-वियोग, शृंगार, प्रेमभाव, प्रकृति वर्णन, स्त्री जाति की व्यथा आदि विषयों का वर्णन किया गया है।

( 2 )

काहे को ब्याही विदेश रे
लखि बाबुल मोरे।
भइया के दी है बाबुल महला- दुमहला,
हम को दी है परदेस, लखि बाबुल मोरे।
मैं तो बाबुल तोरे पिंजड़े की चिड़िया
रात बसे उड़ि जाऊं, लखि बाबुल मोरे।
ताक भरी मैंने गुड़िया जो छोड़ी,
छोड़ा दादा मियां का देस, लखि बाबुल मोरे।
प्यार भरी मैंने अम्मा जो छोड़ी
छोड़ी दादी जी की गोद, लखि बाबुल मोरे।
कोठे तले से पलकिया जो निकली
बिरना ने खाई पछाड़, लखि बाबुल मोरे।
परदा उठाके जो देखी,
आए बेगाने देस, लखि बाबुल मोरे

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - कवि कहता है कि विवाहिता प्रश्न करती है कि मेरा विवाह क्यों विदेश में हो गया है? मेरे पिताजी देखिए। भाई को तो महल - दुमहल दे दिया है, हमको तो परदेश दे दिया है। हे पिताजी मैं तो आपके पिंजड़े की चिड़िया हूँ। रात बसने को कौन कहे उड़ जाती हूँ। ताक भरी गुड़िया को भी मैंने छोड़ दिया है। दादा मियां का देश भी छोड़ दिया है। कोठे के नीचे से जब पालकी निकलती है तब उसको देखकर बिरना रो पड़ा। पालकी से परदा उठाकर जब मैं देखती हूँ तो मुझको लगता है कि मैं दूसरे देश में आ गयी हूँ। हे मेरे पिताजी! आप देखें।

विशेष- यह गीत कविता शैली में है।

( 3 )

बहुत कठिन है डगर पनघट की
कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी।
मोरे अच्छे निजाम- पिया कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
जरा बोलो निजाम पिया,
पनिया भरन को मैं जो गई थी
दौड़ झपट मोरी मटकी-पटकी।
बहुत कठिन है -
खुसरो निजाम के बलि-बलि जाइये
लाज राखे मोरे घूंघट पट की -

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि जमुना जी से मटकी भरने की बात कर रहा है।

व्याख्या - कवि कहता है कि पनघट की राह बहुत कठिन है, कैसे मैं जमुना जी से मटकी को भर लाऊँ, मेरे तो निजाम पिया अच्छे हैं। हे निजाम पिया! थोड़ा-सा बोलो, मैं कैसे जमुना जी से मटकी को भर लाऊँ। कवि स्त्री रूप में सम्बोधित करते हुए कहता है पानी भरने के लिए जब मैं गयी थी तब उन्होंने दौड़कर झपटकर मेरी पानी भरने वाली मटकी को पटक दिया। पनघट की राह बहुत कठिन है। खुसरो निजाम से बार-बार कहता है कि मेरे घूँघट रूपी पट की लज्जा आप ही रख सकते हैं।

विशेष - प्रस्तुत पद्य में मधवा का अर्थ जमुना नहीं होता है।

दोहा (च)

1.
गोरी सोवे सेज पर मुख पर डारे ख़ेस
चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुँ देस ॥

सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा डॉ. परमानन्द पांचाल द्वारा सम्पादित पुस्तक 'अमीर खुसरो व्यक्तित्व एवं कृतित्व' से उद्धृत है, जिसके रचयिता अमीर खुसरो हैं।

प्रसंग - अपने गुरु की मृत्यु के बाद अमीर खुसरो ने जो दोहा कहा वह प्रस्तुत दोहा है।

व्याख्या - मृतक हजरत निजामुद्दीन का शव देखकर कवि खुसरो कहता है कि निजामुद्दीन इस समय ताबूत रूपी सेज पर शयन कर रहे हैं, मुख पर कफन पड़ा हुआ है, हे खुसरो! अपने घर चलो, चारों तरफ अन्धकार हो गया है। जीवात्मा परमात्मा में विलीन हो गयी है।

विशेष- (i) फारसी शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(ii) खेस का अर्थ कपड़ा या कफन होता है।

( 2 )

खुसरो रैन सुहाग की जागी पी के संग,
तन मेरो मन पीउ को दोऊ भए एक रंग ॥

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत दोहे में निजाम की मृत्यु के बाद की स्थिति का वर्णन करते हुए कवि कहता है।

व्याख्या - निजाम की मृत्यु के बाद उनकी कब्र के पास ही खुसरो ने अपनी मृत्यु का पहला दिन बिताया था, शरीरं मेरा परन्तु आत्मा परमात्मा की अब मेरी आत्मा और निजाम की आत्मा दोनों मिलकर एक साथ हो गये हैं।

विशेष - रैन का अर्थ रात्रि होता है।

( 3 )

देख मैं अपने हाल को रोऊं, जार-ओ-जार।
वै गुनवन्ता बहुत है, हम हैं आगुन हार ॥

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत दोहे में कवि ने अपनी दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या - सांसारिक प्रेम का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि देखिए मैं खुसरो अपनी दशा पर रो रहा हूँ। वृद्धावस्था में और वृद्ध होता जा रहा हूँ, थोड़ी-सी मेरी इस वृद्धावस्था को देख लीजिए। ईश्वर अर्थात् निजाम तो बहुत गुणवान हैं और मैं अवगुणों का हार बन गया हूँ। मैं अवगुणों से हार गया हूँ।

विशेष - कवि की प्रस्तुत पंक्तियाँ ईश्वर की दिशा में हैं।

( 4 )

चकवा चकवी दो जने उनको मारे न कोय।
ईह मारे करतार कै रैन बिछोही होय।।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि चकवा चकवी को सम्बोधित कर रहा है।

व्याख्या - कवि कहता है कि चकवा और चकवी दो पक्षी हैं उनको मारने का अधिकार किसी को नहीं है। उन्हें ईश्वर ही मार सकता है। वे रात्रि के बीतने पर विक्षोभा अवस्था में हो जाते हैं। दिन में चकवा चकवी अलग-अलग रहते हैं, रात होने पर एक साथ हो जाते हैं।

विशेष- यह प्रेम-भावनापरक दोहा है।

( 5 )

सेज सूनी देख के रोऊं दिन-रैन
पिया पिया कहती मैं पल भर सुख न चैन ॥

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपनी दुखित आत्मा के विषय में कह रहा है।

व्याख्या - कवि अपने को अकेला देखकर कहता है कि सेज सूनी हो गयी है और मैं दिन-रात रो रहा हूँ। कहने का तात्पर्य यह है कि निजाम की मृत्यु हो गयी है। मुझको कोई स्थान नहीं मिल रहा है। मैं दिन-रात रो-रोकर भटक रहा हूँ। प्रिय-प्रिय मेरी आत्मा कह रही है, मुझको क्षणभर के लिए कहीं भी सुख चैन नहीं है।

विशेष- समस्त सन्दर्भ ईश्वर की दिशा में हैं। हिन्दी और फारसी शब्दों का प्रयोग हुआ है।


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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
  3. प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  4. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  5. प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
  6. प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  7. प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
  10. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
  14. प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  24. प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
  26. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  28. प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  29. प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
  30. प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  33. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  35. प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
  36. प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
  38. प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  44. प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
  45. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
  48. प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  49. अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
  50. प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  51. प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  53. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  54. प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  55. प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
  56. अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
  57. प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
  58. प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
  59. अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
  60. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  63. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  65. अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
  66. प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  68. प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
  69. प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
  71. प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
  72. अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
  73. प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
  76. प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  77. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
  81. प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
  82. अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
  83. प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  89. अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  93. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  94. अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
  95. प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
  96. प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
  97. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
  98. प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
  99. अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
  100. प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
  104. प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
  105. अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
  106. प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  107. प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
  109. प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  111. अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  112. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  113. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  115. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
  116. अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
  117. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
  118. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
  119. अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
  120. प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
  121. प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  122. अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
  123. प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
  125. प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
  126. प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
  128. अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  129. प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  130. प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
  131. प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
  132. प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
  133. प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
  134. अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
  135. प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
  136. प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
  137. प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
  138. अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  140. प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  141. अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
  142. प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  143. प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  144. प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  145. अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
  146. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
  148. प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
  149. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  150. प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
  151. अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
  152. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  153. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
  154. अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
  155. प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

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